उड़ान

उड़ चला परिंदा आजाद होकर खुले आसमान में,
कह गया कि कैद कितना भी कर लो अभी उड़ान बाकी है।
दुख तो आते और जाते रहेंगे इस जिंदगी में,
थोड़ा सा हंस लो अभी तो तेरा मुकाम बाकी है।।

वक्त तो किसी रेत की तरह फिसल जाना है हाथ से,
छूट जाना है सब पीछे किसी के साथ से।
यह दुनिया तो साथ खुदा का भी नहीं देती,
रोना भले आए पर कहना दोस्त अभी मुस्कान बाकी है।।

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