समय

यूॅ तो कितने ही सालों की ज़िंदगी जीते है हम,
पर उन सालों में कितनी दफा हॅसते है हम।
रोने को तो हज़ार वजह ढूंढ लेते है,
पर क्या हॅसने की एक वजह ढूंढ पाते है हम।।

हा यूॅ तो यादों में किसी की सब आना चाहते है,
पर क्या वो ह़सीन यादें खुद से बनाते है हम।
जो आए किसी की आंख में आंसू हमारी वजह से,
क्या उसे गले लगा के फिर से अपना बनाते है हम।।

ना रुका है और ना रुकेगा कभी किसी के लिए,
इसे ही समय का चक्र कहते है हम।
जितनी दफा मौका दे ये ज़िन्दगी हमे हसने और हसाने के,
क्या किसी की हॅसी का कारण बन पाते है हम।।‌‌‌‌‌‌‍‍‍‍‍‌‌‍‌‌‌‌‌‍‍

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