उलझन
चाहता हूं की तुझसे करू गुफ्तगू मै,
पर कुछ हद़े है और कुछ मज़बूरी।
डर तुझसे नही जमाने से लगता है,
कैसे करू ये दूरियां मै अब पूरी।।
अभी अभी तो मिला हूं तुझसे मै,
फिर भी ना जाने क्यूं चुभने लगी ये दूरी।
कुछ तो कशिश है की तेरी और चला मै,
बस ना रह जाए कुछ बातें यू अधूरी।।
पर कुछ हद़े है और कुछ मज़बूरी।
डर तुझसे नही जमाने से लगता है,
कैसे करू ये दूरियां मै अब पूरी।।
अभी अभी तो मिला हूं तुझसे मै,
फिर भी ना जाने क्यूं चुभने लगी ये दूरी।
कुछ तो कशिश है की तेरी और चला मै,
बस ना रह जाए कुछ बातें यू अधूरी।।
Always your Ardent follower☺️!!! As always amazing ��
ReplyDeleteThanks Mr. Or Ms. Anonymous... I am happy to have some followers like you... Thanks...
Delete👌👌
ReplyDeleteThanks... 😊
DeleteGood one sir ☺️👍
ReplyDeleteThanks Sir... 😊
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