मां की व्यथा
जब आया तु कोख में मेरी,
तो मन मेरा हर्षाया था।
रखा तुझे नो महीने तक अपने अंदर,
तुझे मैंने अपने अंश से खिलाया था।।
आया इस जहां मैं जिस दिन तु,
मातृत्व मैंने अपना पाया था।
पाला तुझे अपना पेट काटकर मैने,
खुद से पहले तुझे निवाला खिलाया था।।
भूल गया तु संस्कार मेरे जैसे वक्त बिता,
फिर भी आंसुओ को मैने अपने छिपाया था।
दुनिया में हो ना तुझे कभी दर्द का सामना,
इसलिए कलेजा दे के अपना, घर तेरा बसाया था।।
पर जिस दिन फाड़े एक औरत के कपड़े तूने,
पर जिस दिन फाड़े एक औरत के कपड़े तूने,
सीना मेरा भी तूने उस दिन चीरा था।
पूछती हूं उस भगवान से अब मैं,
क्या इसलिए तुझे दुनिया मैं मैने लाया था।।
संहार कर दू मैं तेरा मिटा दू मैं तेरी हस्ती,
संहार कर दू मैं तेरा मिटा दू मैं तेरी हस्ती,
आंखे नोच लु तेरी जिसे तूने औरत पे उठाया था।
रोती हूं मैं बिलखती हूं अंधेरे कोने में,
शायद मेरे ही दूध में जहर मैने पिलाया था।।
जिस देश में गंगा को भी मां कहते है,
जिस देश में गंगा को भी मां कहते है,
एक गाय मैं हजारों भगवान देखते है।
उस देश की बेटी भी पूजने लायक है,
क्या तुझे बचपन मैं मैने नहीं सिखाया था।।
काश तू जान पाता दर्द को जो हर औरत ने पाया,
काश तू जान पाता दर्द को जो हर औरत ने पाया,
जब भी तुझ जैसे इंसान ने जानवर का रूप अपनाया।
मां हू तेरी पर तुझे बेटा कहने से डर लगता है,
क्या इसलिए तुझे मैंने अपना राजा बेटा बनाया था।।
Request : Respect a girl. She is a Mother, Sister, Wife and a daughter. Without her this world is unimaginable.
Request : Respect a girl. She is a Mother, Sister, Wife and a daughter. Without her this world is unimaginable.
Very nice
ReplyDelete☺️ Deep Thoughts
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